खतरे में कुमाऊं की काली माँ -: धरती में समा रही माँ कालिका का पौराणिक मंदिर एक्सक्लूसिव रिपोर्ट गढ़वाली कुमाऊनी वार्ता

क्या किसी भगवान का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है! यह अपने आप में ही एक बड़ा सवाल है।परन्तु सच्चाई यह है बागेश्वर के कांडा में कालिका का माता का अस्तित्व खतरे में है। कम समय में मोटा मुनाफा और
अंधाधुंध खनन के कारण यहां भगवान का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।

बागेश्वर के कांडा स्थित मां कालिका का पौराणिक मंदिर खतरे की जद में है। मंदिर में स्थित शक्ति पीठ धरती में समा रही है और मंदिर के आस पास गहरी दरारे नज़र आ रही हैं। दरारे देख विशेषज्ञ काफ़ी चिंतित हैं। उनका कहना है कि समय रहते अंधाधुंध खनन पर लगाम नहीं लगी तो भविष्य में स्थिति बेहद खराब हो सकती है।

कालिका मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है।माता की शक्ति को धरती में समाता देख और मंदिर का एक हिस्सा झुकने से भक्त खासा चिंतित हैं। इधर ज्योतिष शास्त्री कालिका माता की स्वयंभू मूर्ति के धरती में धंसने को कोई बढ़ी दैवीय आपदा का संकेत बता रहे हैं।

बागेश्वर के कांडा में अवैध खनन आस्था पर भारी पड़ रहा है। मोटी कमाई के लोभ ने भगवान को भी दरकिनार कर दिया है।अब भगवान के इस मंदिर का क्या होगा ये आने वाला वक्त ही तय करेगा।
डीएम के आदेश के बाद भी कांडा के खान में चलती रही मशीनें
मंदिर समिति ने जताया अफसोस
बागेश्वर। कांडा में शंकराचार्य द्वारा स्थापित मां कालिका मंदिर को बचाने के लिए मंगलवार को खान मालिक को दिए आदेश का अब तक पालन नहीं हुआ है। बुधवार को भी खान मालिक खान से खनन करता रहा। वहीं मां काली मंदिर समेत कई आवासीय मकानों को भी खतरा बना हुआ है। क्षेत्र में स्कूल व आवासीय मकानों व जिपं के विश्राम गृह के समीप बड़ी बड़ी दरारें आने से क्षेत्र की जनता को जोशीमठ जैसी आपदा आने का भय होने लगा है।
गत कुछ माह से कांडा के कालिका मंदिर में दरार आने व मां के शक्ति के खिसकने के बाद से क्षेत्र में दहशत होनी प्रारंभ हो गई थी। जब प्रशासन से अनुरोध किया तो किसी ने ध्यान नहीं दिया जिस पर सीएम हेल्प लाइन पर ग्रामीणों ने फोन किया तो प्रशासन चेता तथा जिलाधिकारी अनुराधा पाल ने मौके का निरीक्षण किया तो कई ग्रामीणों ने इसकी शिकायत की। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने तुरंत प्रभाव से मीडिया को दिए साक्षात्कार में तुरंत खान में जेसीबी के प्रयोग पर रोक लगाने की बात कही व उपजिलाधिकारी को आदेश दिए। परंतु इसका असर अब तक खान क्षेत्र में नहीं दिख रहा है तथा जेसीबी व पोकलैंड के माध्यम से खनन जारी है। जिलाधिकारी के आदेश के बाद भी खान मालिक द्वारा किए जा रहे खनन के बाद ग्रामीणों समेत मंदिर समिति ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जिलाधिकारी के आदेश के बाद भी खनन करने से साफ हो गया है कि प्रदेश सरकार के कार्यों की पोल खुल रही है।

अवैध धर्मस्थल हटाने के साथ हमारे धर्मस्थल बचा लो सरकार ग्राम वासी
शंकराचार्य द्वारा बनाए गए मां कालिका मंदिर समिति समेत ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार से अपील की है कि वे हमारे धर्मस्थल व सरस्वती मंदिर व पैतृक भूमि को बचा लें। कहा कि जिलाधिकारी के आदेश के बाद भी मशीन से खनन नहीं रूका है जबकि खान क्षेत्र अब तक बंद हो जानी चाहिए थी।
मंदिर समिति के अध्यक्ष रघुवीर सिंह माजिला, पुजारी वीरेंद्र कांडपाल, समिति के सदस्य विजय कार्की, अर्जुन माजिला, भगवत नगरकोटी, प्रकाश कर्म्याल, नरेंद्र डसीला, प्रकाश नगरकोटी, गुडडू पांडे ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अवैध धर्मस्थलों को हटाने की कारवाही कर रहे हैं परंतु यहां शंकराचार्य द्वारा बनाए गए मां कालिका मंदिर समेत मां सरस्वती के मंदिर राबाइंका कांडा समेत कुछ निजी स्कूलों व कई आवासीय भवनों, गैस गोदाम को खतरा बना हुआ है परंतु प्रशासन इस पर भी गंभीर नहीं है।

अनहोनी की आशंका से परेशान हैं ग्रामीण
बागेश्वर। कांडा की मां काली कांडा क्षेत्र के लोगों की कुलदेवी है। वहीं खनन से शक्ति के हिलने से तथा इसे रोके न जाने के लिए ठोस उपाय न किए जाने पर अनहोनी की आशंका व्यक्त की है। कहा कि जिस तरह से केदारनाथ को पिकनिक स्थल बनने व मां धारी देवी का स्थान हटाने के बाद केदारनाथ में आपदा आई। उसी तरह कहीं इसका प्रकोप क्षेत्र की जनता को न झेलना पड़े।

कांडा में डीएम के आदेश के बाद भी खनन जेसीबी से किए जाने के बाद भी जब जिला खान अधिकारी वीके सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। अभी मैं अल्मोड़ा में हूं, बागेश्वर आकर ही इस संबंध में भू वैज्ञानिक से वार्ता करूंगा इसके बाद ही कार्रवाई की जाएगी।

कांडा में कई मकानों व खेतों में आई भीषण दरारें
बरसात के दौरान हादसे से चिंतित हैं ग्रामीण
बागेश्वर। कांडा क्षेत्र में हो रहे खनन से जहां मां काली मंदिर झुक गया है व शक्तिपीठ खिसक रही है। वहीं खान के उपर कई आवासीय मकानों के समीप खेतों में भयंकर दरारें आ गई हैं। जिससे ग्रामीण जोशीमठ जैसी आपदा के इंतजार में है।
ग्रामीण प्रकाश कर्म्याल, हरीश सिंह, राम सिंह, जगत सिंह ने खेतों व चटटानों में आई दरारें दिखाते हुए कहा कि क्षेत्र में लगातार जमीन धंस रही है। कई मकानों को खतरा बना हुआ है कहा कि इस संबंध में कई बार प्रशासन से शिकायत की जाती रही परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब सीएम हेल्प लाइन के बाद प्रशासन यहां पहुंचा तो सही तथा खान में मशीनों के प्रयोग पर पाबंदी की बात कही परंतु इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिससे ग्रामीण परेशान व भविष्य के प्रति चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इसे गंभीरता से ले तथा भूगर्भ वैज्ञानिकों द्वारा यहां की जांच कराई जाय तो यहां पर जोशीमठ जैसी स्थिति पैदा होने की संभावना जताई जा सकती है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से दरारें आ रही हैं उससे लगता है कि आगामी बरसात में क्षेत्र में किसी तरह की आपदा आने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

उत्तराखंड वार्ता

उत्तराखंड वार्ता समूह संपादक

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