बागेश्वर उप चुनाव को लेकर बड़ी खबर -: बागेश्वर उपचुनाव में बीजेपी का कौन होगा असली दावेदार, क्या कांग्रेस तोड़ पाएगी मिथक? देखिए बड़ा अपडेट….

बागेश्वर. उत्तराखंड के बागेश्वर उपचुनाव को लेकर सियासत गरमाने लगी है. निर्वाचन आयोग द्वारा तारीखों के ऐलान के बाद ही प्रत्याशियों को लेकर चर्चा जोरों पर है. फिलहाल, किसी भी पार्टी ने अभी उम्मीदवार तय नहीं किया है. इधर पूरे प्रदेश की नजर बीजेपी पर है. आखिरकार टिकट के लिए किसका नाम सेलेक्ट किया जाता है, इस पर सबकी निगाहें टिकीं हैं. इस उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर होनी लगभग तय है. बागेश्वर उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए महत्वपूर्ण है.
इस उपचुनाव को लोकसभा का सेमीफइनल के तौर पर देखा जा रहा है. बागेश्वर उपचुनाव पर सभी की निगाहें टिकीं हुई हैं. हर कोई यह जानने को आतुर है कि आखिरकार स्वर्गीय कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास की विधानसभा का नया प्रतिनिधि कौन होगा? उपचुनाव के लिए बीजेपी अपनी तैयारी पूरी होने का दावा कर रही है. बीजेपी पदाधिकारियों का कहना है कि कार्यकर्त्ताओं ने कमर कस ली हैं. बूथ स्तर तक पदाधिकारी पहुंच रहे हैं, लेकिन कैंडिडेट के बारे में कुछ भी कहने से बच रहें हैं. ऑफ द कैमरा मंत्री चंदन दास के परिवार से टिकट मिलना तय बता रहें हैं.
उधर गुरुवार को फाइनल टिकट के लिए तीन नाम भेजे गये हैं. सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार सभी तीन नाम परिवार के सदस्यों के ही हो सकते हैं. पार्टी हाई कमान को तय करना हैं कि आखिरकार मां और बेटों में से किसको टिकट दिया जाए. स्वर्गीय मंत्री चंदन दास के पुत्र गौरव दास जहां जिले की राजनीती में खासा एक्टिव हैं तो वहीं भास्कर दास की बीजेपी संगठन में अच्छी पकड़ बताई जा रही है. स्वर्गीय दास के छोटे पुत्र भाष्कर दास भले ही राजनीति में कम एक्टिव हों, लेकिन उनके सौम्य और सरल व्यवहार के चलते कई बीजेपी नेता चाहते हैं कि उनको टिकट मिले.
दूसरी तरफ पार्वती दास के नाम पर भी चर्चा है. कुछ साल पहले हुए उपचुनाव के नतीजों को देखें तो इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि पार्टी ने बेटों की जगह पत्नी को ही चुनाव लड़वाया. 2018 थराली उपचुनाव में स्वर्गीय नेता मग्न लाल साह की पत्नी मुन्नी देवी और 2019 में पिथौरागढ़ उपचुनाव में दिवंगत मंत्री प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत को टिकट दिया गया, वही स्वर्गीय हरबंस कपूर की पत्नी को चुनाव में उतारा है, कहीं न कहीं पूर्व मंत्री चंदन राम दास की पत्नी पार्वती दास का नाम भी चर्चाओं में बना हुआ है. बीजेपी पार्टी हाई कमान को अपने फैसलों से चौकाने के लिये जाना जाता है. तो बागेश्वर उप चुनाव में भी बीजेपी का कैंडिडेट अगर सबको हैरान करता है तो ये कोई नई बात नहीं होगी.
हालांकि दिवंगत चंदन दास के बड़े बेटे गौरव दास का कहना है कि पार्टी किसे टिकट देती है, ये पार्टी हाई कमान का फैसला है. टिकट किसी को भी मिले हम उपचुनाव के लिए तैयार हैं. वहीं छोटे बेटे भाष्कर दास का कहना है कि बड़े भाई और माता जी पहले हैं. टिकट किसी को भी मिले, ये पूर्ण निर्णय पार्टी का हाई कमान का है. बस पापा के कार्यों को आगे ले जाना है और बागेश्वर का विकास करना है.

उत्तराखंड की बागेश्वर विधान सभा के उपचुनाव की तारीख तय होते ही चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इससे पहले 2009 में एक उपचुनाव झेल चुका है

उत्तराखंड का सियासी मिजाज कई मामलों में और राज्यों से अलग है। उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में उप चुनाव के दौरान विपक्ष कई बार सत्ता को मात दे चुका है। लेकिन उत्तराखंड गठन के बाद से आज तक 15 उप चुनाव हुए हैं। इसमें से 14 बार सत्ता पक्ष के हाथ ही बाजी रही है। बागेश्वर जिले में ये दूसरा उप चुनाव है ।इससे पहले कपकोट उपचुनाव भाजपा फतह कर चुकी है।
बागेश्वर आरक्षित सीट पूर्व कैबिनेट मंत्री चंदनराम दास के निधन के बाद खाली हुई है।इधर राजनीतिक विशेषज्ञय की मानी तो उपचुनाव में भाजपा सहानुभूति का कार्ड खेल सकती है। दास के बाद उनका उत्तराधिकारी कौन होगा, इस पर लोगों की नजर टिकी है। सबसे पहले नंबर दास की पत्नी पार्वती दास का हो सकता है।
बागेश्वर सीट पर लगातार भगवा बुलंद करने वाली भाजपा एक बार फिर उपचुनाव में सहानुभूति का दांव चल सकती है।

उत्तराखंड वार्ता

उत्तराखंड वार्ता समूह संपादक

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