शिक्षा विभाग में ट्रांसफर के निस्तारण पर संग्राम छिड़ा, समाधान ना होने पर उठा सकते हैँ कठोर कदम

देहरादून। उत्तराखंड शिक्षा विभाग में ट्रांसफर के बाद भी विवाद नहीं थम रहा , राजकीय शिक्षक संगठन के द्वारा लगातार शिक्षकों के हस्तांतरण संबंधी प्रत्यावेदन की लगातार निस्तारण की मांग उठाई जा रही थी, और इसको लेकर कई ज्ञापन भी शिक्षा विभाग को संगठन के द्वारा सौंपे गए थे, लेकिन अब राजकीय शिक्षक संगठन ने बड़ा आरोप शिक्षा विभाग पर लगाया है, संगठन का कहना है कि हस्तांतरण संबंधी प्रत्यावेदन जो निदेशालय को प्राप्त हुए हैं उसके निस्तारण में भी दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है, जो इस प्रकार है।

1. गंभीर बीमारी में कुछ शिक्षकों को सीधी छूट दे दी गई तथा कुछ शिक्षकों का स्थानान्तरण कर दिया गया।

2. गंभीर बीमारी में हुए स्थानान्तरण में कोई प्रतिशत निर्धारित नहीं था। फिर भी पद रिक्त होते हुए भी कुछ शिक्षकों का स्थानान्तरण कर दिया गया तथा कुछ शिक्षकों को छोड़ दिया गया।

3. फलित पद के नाम पर कुछ शिक्षकों को लाभ दिया गया कुछ का गुणांक अधिक होने पर भी स्थानान्तरण नहीं किया गया।

4. दुर्गम से सुगम के नाम पर बहुत से शिक्षक-शिक्षिकाओं को गढ़वाल से कुमाऊँ और कुमाऊँ से गढ़वाल स्थानान्तरण किया गया जो कि न्यायसंगत नहीं है।

राजकीय शिक्षक संगठन ने शिक्षा विभाग को चेतावनी देते हुए कहा है कि उक्त बिंदुओं के मध्य नजर रखते हुए आवश्यक कार्यवाही करने की कृपा की जाए और यदि उक्त बिंदुओं के संदर्भ में कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं की गई तो संगठन कठोर निर्णय लेने हेतु बाध्य होगा जिसकी संपूर्ण जवाबदेही विभाग की होगी। कुल मिलाकर देखें तो शिक्षक संगठन ने हस्तांतरण के निस्तारण में दोहरे मापदंड को लेकर विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान एक तरफ से कर दिया गया है, यदि अगर संगठन की मांग के अनुरूप प्रत्यावेदनओं का निस्तारण नहीं होता है तो फिर शिक्षक संगठन क्या कुछ कदम उठाएगा उस पर भी आप सभी की नजरें हैं।

उत्तराखंड वार्ता

उत्तराखंड वार्ता समूह संपादक

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