उत्तराखण्ड के जंगलों में पके काफल,किरमोड, हिसालू, लेकिन खाने वाला कोई नहीं…

जंगलों में पके काफल, हिसालू लेकिन खाने वाला कोई नहीं
पहाड़ों से सुविधाओं के अभाव में जन शून्य हो चुके गांवों में काफल और हिसालू लोगों का इंतजार कर रहे हैं। इन दिनों पलायन से खाली हो गए गांवों में काफल और हिसालू पके हुए हैं लेकिन खाने वाला कोई नहीं है। सरकारों का पलायन रोकने का दावा भी हवाई सा साबित हो रहा है, सरकार की योजनाएं पहाड़ नहीं चढ़ पा रही है….

जेठ माह के इन दिनों पहाड़ों पर काफल, हिसालू बड़ी मात्रा में पके हुए हैं लेकिन उन फलों को खाने वाला कोई नहीं है। इन रसीले फलों से जानवरों का पेट भर रहा है या फिर वनों में ही बर्बाद हो रहे हैं।

सर्वाधिक पलायन बेड़ीनाग और गंगोलीहाट विकासखंड से हुआ है। बेड़ीनाग के 24 और गंगोलीहाट तहसील के 13 गांव आबादी विहीन हो चुके हैं। इसके अलावा पिथौरागढ़ जिले के 41 गांवों में 50 फीसदी से ज्यादा हो गया है,
पलायन को रोकने के लिए सरकार द्वारा गांवों में युवाओं और महिलाओं को स्वरोजगार के योजनाओं से जोड़ने के लिए प्रयास तो किए जा रहे हैं पर कारगर साबित नहीं हो पा रहा है

धौलकांडा, कनकुटिया, बारमो, मथेला, मुनावे, सैनीखाल, धूरा, कफलानी, चौपाता, बथोली, अमकोट, सुअरगाड़ा, खर्कतड़ी, सिमारपानी, गिठीगाड़ा और झूलाघाट से बड़ी संख्या में लगातार पलायन हो रहा है। जंगलों में नहीं जाने से पुराने रास्ते पूरी तरह बंद हो गए हैं। और वहां झाड़ियां उग आई हैं।

उत्तराखंड वार्ता

उत्तराखंड वार्ता समूह संपादक

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