पांच दिन तक सड़े मां-बाप के शव के पास पड़ा मिला पांच दिन का नवजात, डिलीवरी होते ही कर ली थी मां बाप ने आत्महत्या

देहरादून में एक दंपती के शव बंद कमरे में सड़ी-गली अवस्था में मिले हैं। इन्ही शवों के बीच में उनका पांच दिन का बच्चा सुरक्षित मिला जिसे इलाज के लिए दून अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। हादसे के बाद घटनास्थल पर अफरातफरी मच गई है।दरअसल टर्नर रोड सी-13 स्थित किराये के कमरे में रहने वाले दंपती के शव बंद कमरे में सड़ी-गली अवस्था में मिले हैं।दरअसल टर्नर रोड सी-13 में मकान मालिक सोहेल निवासी के मकान में काशिफ निवासी चहलोली थाना नागल जिला सहारनपुर उत्तर प्रदेश अपनी पत्नी अनम के साथ पिछले चार महीने से रह रहा था। मां-बाप के सड़े शव के पास पड़ा मिला पांच दिन का नवजात, बच्‍चे से चिपके थे कीड़े; फ‍िर हुआ चमत्‍कार
दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय के निक्कू वार्ड में भर्ती नवजात की हालत अब स्थिर है। माता-पिता के शव के पास पड़े रहे पांच दिन के नवजात का सकुशल मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं माना जा रहा। माता-पिता के शव के पास पड़े रहे पांच दिन के नवजात का सकुशल मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं माना जा रहा। दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय के निक्कू वार्ड में भर्ती नवजात की हालत अब स्थिर है।

चिकित्सकों के अनुसार उसके सभी वाइटल्स सामान्य हैं, पर फीडिंग में अभी दिक्कत आ रही है। कुछ जांच कराई गई हैं, जिनकी रिपोर्ट आनी है। इसके बाद ही स्पष्ट होगा कि संक्रमण किस स्तर का है।
देहरादून में क्लेमेनटाउन क्षेत्र में टर्नर रोड स्थित एक घर में दंपती ने आत्महत्या कर ली थी। स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस ने मंगलवार 13 जून को दोनों के शवों को सड़ी-गली हालत में बंद कमरे से बरामद किया।

वहीं पुलिस जब दरवाजा तोड़कर अंदर गई तो वहां शवों के पास नवजात को देखकर दंग रह गई। शवों पर कीड़े लगे थे और पांच दिन का नवजात उनके बीच में भूख से बिलख रहा था। उसे दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है।
हाई रिस्क संक्रमण के बीच कई दिन भूखा रहा बच्‍चा
इस बीच बच्चे के सर्वाइवल को लेकर भी तमाम सवाल लोगों के मन में तैर रहे हैं। क्योंकि वह हाई रिस्क संक्रमण के बीच कई दिन तक भूखा रहा। अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. अशोक का कहना है कि भूखे रहने पर शरीर दूसरे तरीके से ऊर्जा लेना शुरू कर देता है। शरीर लिवर में स्टोर ग्लाइकोजन का इस्तेमाल करता है।

जिंदा रहने के लिए ऊर्जा चाहिए, जो शरीर में पहले से मौजूद ग्लूकोज से मिलती है। अगले चरण में शरीर फैट व प्रोटीन का इस्तेमाल कर ग्लूकोज की जरूरत को पूरा करता है। पर प्रोटीन को तोड़ने की प्रक्रिया में शरीर अपने ही मसल मास को खत्म करना शुरू कर देता है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। कुछ दिन बाद इसका असर दिख सकता है। फिर भी यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।

उत्तराखंड वार्ता

उत्तराखंड वार्ता समूह संपादक

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