Uttarakhand Dehradun Neo Metro Project: देहरादून में क्या नहीं हो पायेगा मेट्रो का सपना पूरा, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून। देहरादून में नियो मेट्रो प्रोजेक्ट के बारे में पिछले कुछ वर्षों में खूब बातें हुईं हैँ, प्रोजेक्ट शुरु भी हुआ था, मगर लगता है कि यह प्रोजेक्ट खतरे में पड़ गया।

Dehradun Neo Metro Project

पीएमओ में प्रस्तुतिकरण के बाद भी केंद्र सरकार के मन में इस प्रोजेक्ट को लेकर कई संदेह हैं। पिछले छह महीने से ग्रीन सिग्नल के इंतजार में रुकी नियो मेट्रो की फाइल अब भी अप्रूवल के लिए यहां वहां फिर रही है। इतने वक्त इंतज़ार करने के बाद भी इसके खाते में मायूसी ही आई है। सूत्रों की मानें तो यह इंतजार और भी अधिक हो सकता है। वहीं केंद्र सरकार के अधिकारी इस पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि देहरादून मेट्रो को लेकर केंद्र सरकार के मन में कई शंकाएं है। सबसे बड़ा कन्सर्न है जगह की कमी। इसके चलते प्रोजेक्ट की सफलता को लेकर केंद्र सरकार सशंकित है।

केंद्र सरकार को लग रहा है देहरादून में कम चौड़ी सड़कें नियो के संचालन में बाधा बन सकती है। दूसरी शंका है कि क्या वाकई देहरादून में नियो मेट्रो की ज़रूरत है? अगर यहां मेट्रो चलाई जाए, तो क्या उससे अच्छा खासा रेवेन्यू जनरेट होगा? केंद्र सरकार से नियो मेट्रो को लेकर चर्चा के दौरान देहरादून में इसकी उपयोगिता पर बात हुई। केंद्र सरकार के अफसरों ने यह भी कहा, देहरादून के लिए बसों का नेटवर्क बढ़ाने की जरूरत है। वहां नियो से अधिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट के तहत बसों को चलाने की जरूरत है। चलिए, यह तो बात रही कि देहरादून में नियो मेट्रो संचालन पर क्या अपडेट है। अब ज़रा बात कर लेते हैं कि नियो मेट्रो का अबतक का क्या प्लान डिसाइड हुआ है। नियो मेट्रो के लिए 22.42 किलोमीटर के दो कॉरिडोर निर्धारित कर रूट तय किए गए। दोनों कॉरिडोर में कुल 25 स्टेशन होंगे। यह 1900 करोड़ का प्रोजेक्ट रहेगा। इसमें राज्य व केंद्र 20-20 प्रतिशत बजट देंगे, जबकि शेष 60 प्रतिशत राशि ऋण के माध्यम से जुटाई जाएगी। अब यह Dehradun Neo Metro कार्य पूरा होगा, इसपर केंद्र की ओर से ग्रीन सिग्नल मिलेगा कि नहीं, यह सब बातें अहम हैं। जो भी निर्णय होगा, जनता के हित में ही लिया जाएगा।

उत्तराखंड वार्ता

उत्तराखंड वार्ता समूह संपादक

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