उत्तराखंड में भू-कानून की मांग तेज, युवाओं ने सोशल मीडिया को बनाया मंच

देहरादून । उत्तराखंड वार्ता, भू कानून की मांग अब दिल्ली NCR में भी जल, जंगल, जमीन और परिवेश को बचाने कठोर भू-कानून की मांग।

रजनी जोशी ने उत्तराखंड ही नही दिल्ली NCR में भी भूकानून की मांग की आवाज उठाई है,उन्होंने ने कहा उत्तराखण्ड देश के हिमालयी राज्यों में अकेला ऐसा प्रदेश बन गया है जहां पर जमीन की खरीद-फरोख्त पर आज कोई अंकुश नही रह गया है। कोई भी व्यक्ति कितनी भी जमीन और कहीं भी खरीद सकता है। हो सकता है इससे कुछ भूपतियों और नेताओं को लाभ मिल रहा हो लेकिन सामाजिक धरातल पर उत्तराखण्ड का परिवेश और यहां की संरचना व ग्रामीण माहौल आने वाले समय मे बहुत ही प्रभावित होने वाला है। जो कि यहां के सामाजिक सन्तुलन के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न होने वाला है।

रजनी की मांग, दूसरा सरकारों ने यह भी सुविधा बाहरी लोगों को उपलब्ध कराने की कर दी है कि वे लम्बे वक्त के लिए यहां के लोगों से उनकी जमीन खेती के लिए लीज पर ले सकते हैं। और एक तरह से लीज पर लेने वाले को उस जमीन का उस कालखण्ड के लिए मालिकाना हक मिल जायेगा। इस कदम से भी यहां का सामाजिक तानाबाना बहुत हद तक प्रभावित होने वाला है जिस कारण यहां के मूल निवासियों के समक्ष अपना सामाजिक, पारिवारिक और परिवेष के सन्तुलन को बचाये रखना असंभव हो जायेगा।

1. उत्तराखण्ड मे शीघ्र ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकार कठोर भू-कानून बने तथा तुरन्त प्रभाव से लागू किया जाये।

2. इस प्रकार की व्यवस्था हो कि उत्तराखण्ड में काई भी धनाढ्य और कोई भी बाहरी व्यक्ति यहां पर आकर जमीन न खरीद सके।

3. गांवों के हक-हकूब और जमीन आदि को सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रबन्ध किये जायें।

4. पूर्व में जिन-जिन लोगों ने अनाप-शनाप जमीन खरीद रखीं हैं उन पर भी अंकुश लगे और वह जमीन मूल स्वामी को वापस करने के लिए नियम बनें।

5. उत्तराखण्ड और खासकर पर्वतीय क्षेत्रों के किसानों एवं काष्तकारों को खेती में फलदार वृक्ष, गांवों में साझी फल पट्टी आदि विकसित करने के लिए योजनायें युद्धस्तर पर चलाई जायें।

6. गावों में बंदर और सुअरों के भय से अपनी खेती से बिमुख हो रहे किसानों की परेशानी को समझा जाये तथा उनकी परेशानी को दूर किया जायें।

7. युवाओं को गांवों और खेती के प्रति जागरूक किया जाये तथा अनेक योजनाओं को चलाकार उत्तराखण्ड में खेती, किसानी के लिए नई-नई योजनाओं को विस्तार किया जाये।

8. किसानों की नकदी फसलों के उत्पादन हेतु माहौल एवं सुविधाओं को बढाया जाये। ताकि गांवों में उत्पादन बढे, पलायन रूके और ग्रामीणो का जीवनस्तर सुधरे।

उत्तराखण्ड के गांव-गांव से लेकर कस्बे और प्रवास तक उत्तराखण्ड में कठोर भू-कानून की मांग उठ चुकी है। इसलिए वर्तमान परिवेष में इस मुद्दे को दबाना किसी भी दल या सरकार के लिए आसान नही होगा। इसलिए आपसे अनुरोध है कि हमारी न्याससंगत और अपनी जमीन व हक-हकूबों को बचाये रखने की मांग को तुरन्त पूरा किया जाये। अन्यथा उत्तराखण्ड में अलग उत्तराखण्ड राज्य के बाद का बहुत बड़ा आन्दोलन करने के लिए गांव-गांव से लोगों ने कमर कस ली है। और अगर आज भी जनभावनाओं को न समझा गया तथा यहां की जमीन और हमारे सरोकारों को न बचाया गया तो फिर जनता के समक्ष क्या उम्मीद बचेगी। उत्तराखण्ड राज्य बनने के बीस साल बाद भी जनता खुद का ठगा महसूस कर रही है और आज भू-माफिया के आगे यहां की सरकारें लाचार और विवश है तो फिर जनता अपनी बात किससे कहेगी और हमारी जमीन और परिवेश को कौन बचायेगा?

उत्तराखण्ड की जमीन और ग्रामीण परिवेश के संन्तुलन को बचाये रखने के लिए आगे आकर कार्यवाही करेंगे। महोदय, आप जैसे नेता एवं मुख्यमंत्री से सभी को उम्मीद है कि आप जनभावनाओं का ध्यान रखते हुए उत्तराखण्ड में कठोर भू-कानून बनाने के लिए पहल करेंगे और समय सीमा के अन्दर यहां की जमीन और परिवेश को बचाने की पहल करेंगे।

उत्तराखंड वार्ता

उत्तराखंड वार्ता समूह संपादक

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